प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना: मार्च 2030 तक विस्तार, बढ़ी हुई ऋण सीमा और UPI-लिंक्ड कार्ड की नई सुविधा

. "पीएम स्वनिधि योजना के तहत रेहड़ी-पटरी और छोटे दुकानदारों को ऋण, RuPay क्रेडिट कार्ड और डिजिटल कैशबैक सुविधा"

प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना: मार्च 2030 तक विस्तार, बढ़ी हुई ऋण सीमा और UPI-लिंक्ड कार्ड की नई



सुविधा

भारत सरकार लगातार छोटे व्यापारियों, रेहड़ी-पटरी वालों और फुटपाथ विक्रेताओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए कदम उठा रही है। इसी कड़ी में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) योजना को मार्च 2030 तक बढ़ाने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इस निर्णय से करोड़ों छोटे विक्रेताओं को राहत मिलेगी, जो कोरोना महामारी के बाद से आर्थिक रूप से जूझ रहे थे और जिनके पास बैंकिंग व्यवस्था तक सीधी पहुँच नहीं थी। योजना का मुख्य उद्देश्य उन लोगों तक बिना गारंटी वाले छोटे ऋण पहुँचाना है, जिनकी आय का मुख्य साधन फुटपाथ पर दुकान लगाना या रेहड़ी-ठेला चलाना है। इससे न केवल उनकी आजीविका सुरक्षित होगी बल्कि उन्हें संगठित वित्तीय प्रणाली का हिस्सा बनने का अवसर भी मिलेगा।

PM Street Vendors Loan Yojana (पीएम स्वनिधि योजना) : पुनर्गठन और विस्तार

जून 2020 में शुरू हुई यह योजना शुरू से ही बेहद प्रभावी रही है। शुरुआत में स्ट्रीट वेंडर्स को ₹10,000 तक का लोन उपलब्ध कराया गया था जिसे वे एक वर्ष के भीतर चुकाकर अगली किश्त के लिए पात्र बन जाते थे। योजना के तहत तीन चरणों में ऋण की सुविधा दी जाती है – पहली किश्त ₹10,000, दूसरी ₹20,000 और तीसरी ₹50,000 तक थी। लेकिन अब कैबिनेट ने इसमें बड़ा बदलाव करते हुए पहली किश्त को ₹15,000, दूसरी को ₹25,000 कर दिया है, जबकि तीसरी किश्त पहले की तरह ₹50,000 ही रहेगी। इस बदलाव से छोटे विक्रेताओं को अपना व्यापार विस्तार करने और महंगाई की स्थिति से निपटने में मदद मिलेगी।

https://www.moneycontrol.com/news/india/cabinet-extends-pm-svanidhi-scheme-till-march-2030-with-enhanced-credit-upi-linked-cards-13492887.html

योजना में एक और क्रांतिकारी पहल की गई है। अब समय पर ऋण चुकाने वाले लाभार्थियों को UPI-लिंक्ड रुपे क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराया जाएगा। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि स्ट्रीट वेंडर्स तुरंत वित्तीय सहायता प्राप्त कर पाएंगे और उन्हें बार-बार बैंक या ऋण संस्थाओं के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। साथ ही यह कदम उन्हें डिजिटल अर्थव्यवस्था से जोड़ने में मदद करेगा। सरकार ने यह भी प्रावधान किया है कि जो विक्रेता नियमित रूप से डिजिटल लेन-देन करेंगे, उन्हें सालाना ₹1,600 तक कैशबैक बोनस मिलेगा। यह बोनस सीधे उनके खाते में जाएगा और उन्हें मोबाइल के माध्यम से पारदर्शी लेन-देन करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

पीएम स्वनिधि योजना का दायरा अब और भी विस्तृत किया गया है। पहले यह योजना केवल बड़े नगर निकाय क्षेत्रों तक सीमित थी, लेकिन अब इसे छोटे कस्बों और परि-शहरी क्षेत्रों तक बढ़ा दिया गया है। इससे छोटे शहरों और कस्बों के लाखों फुटपाथ विक्रेता भी योजना का लाभ उठा पाएंगे। सरकार ने इस योजना को केवल ऋण वितरण तक सीमित नहीं रखा है बल्कि इसके साथ प्रशिक्षण और कौशल विकास को भी जोड़ा है। लाभार्थियों को उद्यमिता, वित्तीय साक्षरता, डिजिटल भुगतान, स्वच्छता, खाद्य सुरक्षा और आधुनिक व्यापार प्रबंधन जैसे विषयों पर प्रशिक्षण दिया जाएगा। इससे वे केवल आत्मनिर्भर ही नहीं होंगे बल्कि अपने व्यवसाय को संगठित और टिकाऊ भी बना पाएंगे।

योजना के अब तक के आंकड़े इसकी सफलता की गवाही देते हैं। जून 2020 से अब तक इस योजना के अंतर्गत 96 लाख से अधिक ऋण वितरित किए जा चुके हैं, जिनकी कुल राशि लगभग ₹13,797 करोड़ है। लगभग 68 लाख स्ट्रीट वेंडर्स इससे सीधे लाभान्वित हुए हैं और इनमें से लगभग 47 लाख लाभार्थियों ने डिजिटल लेन-देन की ओर कदम बढ़ाया है। यह आँकड़े बताते हैं कि सरकार ने जिस उद्देश्य से इस योजना को शुरू किया था, उसमें बड़ी हद तक सफलता हासिल की गई है।

"प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा स्ट्रीट वेंडरों के लिए पीएम स्वनिधि योजना का विस्तार, छोटे व्यापारियों को आसान ऋण और डिजिटल सशक्तिकरण"

डिजिटल इंडिया मिशन के तहत इस योजना का महत्व और भी बढ़ जाता है। पारंपरिक रूप से देखा जाए तो फुटपाथ विक्रेता हमेशा नकदी पर आधारित लेन-देन करते आए हैं, लेकिन इससे न तो उनकी वित्तीय स्थिति दर्ज होती है और न ही वे औपचारिक बैंकिंग प्रणाली से जुड़ पाते हैं। लेकिन अब UPI-लिंक्ड कार्ड और डिजिटल लेन-देन की सुविधा से वे नकदी-आधारित व्यापार से बाहर निकलकर डिजिटल अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनेंगे। इससे उनके लिए भविष्य में और बड़े ऋण प्राप्त करना आसान होगा क्योंकि उनकी क्रेडिट हिस्ट्री तैयार होगी।

हालाँकि योजना के क्रियान्वयन में कुछ चुनौतियाँ भी सामने आ सकती हैं। सबसे बड़ी चुनौती यह होगी कि क्या सभी छोटे विक्रेता डिजिटल लेन-देन को सहजता से अपना पाएंगे। अभी भी देश के कई हिस्सों में डिजिटल साक्षरता का स्तर कम है और इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या बनी रहती है। इसके अलावा, कुछ विक्रेताओं के लिए समय पर ऋण चुकाना कठिन हो सकता है, खासकर उन परिस्थितियों में जब उनकी आय अस्थिर हो। इसलिए सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि लाभार्थियों को समय-समय पर वित्तीय परामर्श और मार्गदर्शन मिलता रहे।

"प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि योजना से लाभान्वित होते व्यापारी, डिजिटल भुगतान और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा"

भविष्य की दृष्टि से देखें तो पीएम स्वनिधि योजना का विस्तार 2030 तक करना एक दूरदर्शी कदम है। यह केवल ऋण देने की योजना नहीं है बल्कि एक ऐसा प्रयास है जो छोटे व्यापारियों को आत्मनिर्भर बनाने, उन्हें डिजिटल लेन-देन के लिए सक्षम करने और उन्हें देश की औपचारिक अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनाने का साधन बनेगा। इस योजना से न केवल करोड़ों लोगों की आजीविका सुरक्षित होगी बल्कि भारत की शहरी और अर्ध-शहरी अर्थव्यवस्था को भी नई दिशा मिलेगी।

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना का विस्तार, बढ़ी हुई ऋण सीमा और UPI-लिंक्ड क्रेडिट कार्ड की सुविधा छोटे विक्रेताओं के जीवन में बड़ा बदलाव लाने जा रही है। यह कदम भारत सरकार की उस नीति का हिस्सा है जिसके तहत “सबका साथ, सबका विकास” और “आत्मनिर्भर भारत” के लक्ष्य को प्राप्त किया जा रहा है। आने वाले वर्षों में यह योजना लाखों परिवारों को गरीबी से बाहर निकालने, स्वरोज़गार को बढ़ावा देने और डिजिटल भारत की नींव को मजबूत करने में निर्णायक भूमिका निभाएगी।