भारत-जापान रिश्तों में नया अध्याय : मोदी की जापान यात्रा
प्रवासी भारतीयों से मुलाकात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी जापान यात्रा के दौरान करीब 54,000 प्रवासी भारतीयों से मुलाकात करेंगे। इससे दोनों देशों के लोगों के बीच सांस्कृतिक और भावनात्मक रिश्तों को और मजबूती मिलेगी।
2035 विज़न स्टेटमेंट

जापान के प्रधानमंत्री इशिबा के साथ होने वाले भारत-जापान शिखर सम्मेलन में दोनों देश “2035 विज़न स्टेटमेंट” जारी करेंगे। यह बयान आने वाले समय में भारत-जापान रिश्तों की दिशा तय करेगा। इससे पहले 2015 में दोनों देशों ने “2025 विज़न स्टेटमेंट” अपनाया था। यह बैठक खास इसलिए भी है क्योंकि भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन की शुरुआत हुए 20 साल पूरे हो गए हैं।
बीते वर्षों की चुनौतियाँ
पिछले कुछ वर्षों में यह शिखर सम्मेलन नियमित रूप से नहीं हो पाया। कोविड महामारी, भारत में नागरिकता कानून को लेकर विरोध और जापान की राजनीति में बदलाव (जिसमें पूर्व पीएम शिंजो आबे की बीमारी और हत्या भी शामिल है) इसकी बड़ी वजहें रहीं। मोदी आखिरी बार 2018 में जापान गए थे।
मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना
मोदी और इशिबा जापान के सेंडाइ शहर तक शिंकानसेन बुलेट ट्रेन से यात्रा करेंगे। दोनों नेता एक सेमीकंडक्टर फैक्ट्री और शिंकानसेन ट्रेन निर्माण केंद्र का भी दौरा करेंगे।
भारत और जापान मिलकर मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल परियोजना को आगे बढ़ाने पर चर्चा करेंगे। यह परियोजना 2017 में जापान की मदद से शुरू हुई थी और इसकी लागत लगभग 17 अरब डॉलर है।
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रणनीतिक और सुरक्षा सहयोग
भारत और जापान केवल व्यापार और आर्थिक मामलों तक सीमित साझेदार नहीं हैं, बल्कि दोनों देशों के बीच रणनीतिक और सुरक्षा सहयोग भी लगातार मजबूत हो रहा है। बदलते वैश्विक हालात और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ते तनाव के बीच भारत-जापान की साझेदारी को काफी अहम माना जाता है।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र (Indo-Pacific) में भारत-जापान की साझेदारी
हिंद-प्रशांत क्षेत्र आज दुनिया की राजनीति और अर्थव्यवस्था का केंद्र बन चुका है। इस इलाके में समुद्री मार्गों की सुरक्षा और स्वतंत्र नेविगेशन (Free Navigation) बेहद महत्वपूर्ण है। भारत और जापान दोनों ही इस बात पर सहमत हैं कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र शांतिपूर्ण, सुरक्षित और खुला रहना चाहिए। इसी कारण दोनों देश मिलकर समुद्री सुरक्षा, तकनीकी सहयोग और आपसी संवाद पर जोर देते हैं।
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QUAD का महत्व
भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया मिलकर क्वाड (QUAD) समूह का हिस्सा हैं। इस मंच का मुख्य उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और शांति बनाए रखना है। क्वाड के जरिए चारों देश साइबर सुरक्षा, तकनीकी विकास, आतंकवाद-रोधी प्रयास और समुद्री सहयोग जैसे मुद्दों पर मिलकर काम करते हैं। जापान और भारत, क्वाड की रीढ़ माने जाते हैं क्योंकि यह दोनों देश भौगोलिक रूप से इस क्षेत्र में अहम स्थिति रखते हैं।
समुद्री सुरक्षा और रक्षा सहयोग
भारत और जापान नौसेना अभ्यास (Naval Exercise) और संयुक्त युद्धाभ्यास नियमित रूप से करते हैं। दोनों देशों की सेनाएँ एक-दूसरे के साथ तकनीक, अनुभव और संसाधन साझा करती हैं। इससे न केवल रक्षा संबंध मजबूत होते हैं, बल्कि आपसी विश्वास भी बढ़ता है।
इसके अलावा जापान ने भारत को आधुनिक तकनीक से लैस सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराए हैं, वहीं भारत जापान को अपने बड़े रक्षा बाज़ार और रणनीतिक लोकेशन के रूप में सहयोग करता है। इस तरह दोनों देश मिलकर क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर सुरक्षा का संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
जापान का बड़ा सहयोग
जापान 1958 से भारत का सबसे बड़ा विकास सहयोगी (ODA दाता) रहा है। इस परियोजना के तहत जापान 2026 तक भारत को दो बुलेट ट्रेन (E5 और E3 मॉडल) देगा और 2030 तक मुंबई-अहमदाबाद लाइन पर नई पीढ़ी की E10 ट्रेनें शुरू करने की योजना है।
जमीनी स्तर पर रिश्ते
मोदी इस यात्रा में जापान के अलग-अलग प्रांतों के गवर्नरों से भी मुलाकात करेंगे। इसका मकसद यह दिखाना है कि भारत-जापान के रिश्ते केवल सरकारों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि स्थानीय स्तर पर भी सहयोग और साझेदारी को बढ़ावा दिया जा रहा है।
निष्कर्ष
भारत और जापान के रिश्ते सिर्फ आर्थिक या राजनीतिक स्तर तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह विश्वास, सहयोग और साझा विकास की एक मजबूत नींव पर खड़े हैं। मोदी की यह यात्रा दोनों देशों के बीच दोस्ती और साझेदारी को एक नई ऊँचाई देगी। खासकर बुलेट ट्रेन जैसी परियोजनाएँ आने वाले समय में भारत के विकास की रफ्तार को और तेज करेंगी।





