29 अगस्त 2025 को रिलायंस इंडस्ट्रीज़ की वार्षिक आम बैठक (AGM) केवल कंपनी की योजनाओं का ऐलान भर नहीं थी, बल्कि इसने भारत के डिजिटल भविष्य की एक झलक भी दिखाई। इस मंच पर गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई और मेटा के संस्थापक मार्क ज़करबर्ग दोनों ने वर्चुअल उपस्थिति दर्ज कराई और साफ संकेत दिया कि भारत आने वाले समय में वैश्विक एआई क्रांति का केंद्र बनने वाला है। यह हम सब के लिए गर्व की बात हो सकती है।
सुंदर पिचाई का संदेश: भारत गूगल के लिए क्यों खास है?

सुंदर पिचाई ने AGM में कहा कि भारत हमेशा से गूगल के लिए एक खास जगह रहा है क्योंकि यहां दुनिया के सबसे गतिशील बिज़नेस और फलते-फूलते स्टार्टअप इकोसिस्टम मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि रिलायंस और जियो के साथ साझेदारी ने किफ़ायती इंटरनेट पहुंच को वास्तविकता में बदल दिया है और अब वही साझेदारी एआई को आम लोगों और छोटे व्यवसायों तक पहुँचाने में मदद करेगी। उनका सबसे बड़ा ऐलान जामनगर क्लाउड रीजन की स्थापना था, जो भारत का पहला ऐसा क्लाउड इन्फ्रास्ट्रक्चर होगा जो खास तौर पर रिलायंस के लिए समर्पित होगा। यह Google Cloud की विश्वस्तरीय AI और computing क्षमता को रिलायंस की ग्रीन एनर्जी और जियो के 5G नेटवर्क से जोड़ेगा और भारत को एक सस्टेनेबल और स्केलेबल एआई इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराएगा।
मुकेश अंबानी का नजरिया: भारत का उदय अजेय है
रिलायंस के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने AGM में कहा कि भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत का उदय अजेय है। उनका ध्यान ऊर्जा, दूरसंचार और वित्तीय सेवाओं में डिजिटल क्रांति को और मजबूत बनाने पर है। एआई को इन सभी क्षेत्रों में शामिल करने से रिलायंस खुद को एक एआई-ड्रिवन कांग्लोमरेट के रूप में स्थापित करना चाहता है और इसके जरिए देश की डिजिटल यात्रा को और तेज़ी देना चाहते है।
मार्क ज़करबर्ग की घोषणा: हर किसी तक एआई
मेटा के सीईओ मार्क ज़करबर्ग ने AGM में कहा कि एआई में सुधार की झलक पहले से ही दिख रही है और आने वाले समय में सुपरइंटेलिजेंस हमारे जीवन का हिस्सा होगी। उन्होंने घोषणा की कि मेटा रिलायंस के साथ मिलकर भारतीय व्यवसायों को अपने ओपन-सोर्स एआई मॉडल LLaMA उपलब्ध कराएगा। इसकी खासियत यह है कि इसे क्लाउड, ऑन-प्रिमाइसेस या डेडिकेटेड इंफ्रास्ट्रक्चर पर कहीं भी लागू किया जा सकता है। इसका उपयोग छोटे कस्बों के स्टार्टअप से लेकर बड़े शहरों की कंपनियों तक हर कोई कर सकेगा। ज़करबर्ग के अनुसार यह साझेदारी भारत को एक ऐसा मॉडल देगी जिसे पूरी दुनिया एआई डेमोक्रेटाइजेशन का उदाहरण मान सकेगी।
भारत-जापान रिश्तों में नया अध्याय : मोदी की जापान यात्रा
भारत के लिए इसका क्या मतलब है?
इस पूरे ऐलान का सीधा असर भारत के छोटे व्यवसायों, छात्रों, शिक्षा क्षेत्र, स्वास्थ्य और रोजगार पर पड़ेगा। छोटे व्यवसायों के लिए एआई टूल्स अब केवल बड़े कॉरपोरेट तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि किराना स्टोर, छोटे व्यापारी और लोकल स्टार्टअप भी इनका लाभ उठाकर अपनी उत्पादकता और मार्केटिंग सुधार पाएंगे। शिक्षा क्षेत्र में क्लाउड-बेस्ड एआई टूल्स से छात्रों को भाषा अनुवाद, कोडिंग सहायता और शोध संसाधनों तक आसानी से पहुंच मिलेगी। स्वास्थ्य और वेलनेस सेक्टर में एआई बड़ा योगदान देगा क्योंकि जियो की पहुंच से यह तकनीक ग्रामीण इलाकों तक भी पहुँच सकेगी। साथ ही युवाओं के लिए नई नौकरियों और स्किल्स जैसे एआई ट्रेनिंग, डेटा एनालिसिस और क्लाउड इंजीनियरिंग के अवसर भी खुलेंगे।
ग्लोबल तुलना
अगर वैश्विक स्तर पर तुलना करें तो अमेरिका एआई इनोवेशन का हब है लेकिन वहां इसका अपनाना महंगा है। चीन एआई को सर्विलांस और ई-कॉमर्स में तेजी से आगे बढ़ा रहा है। भारत की खासियत यह है कि यहां बड़ी जनसंख्या, किफायती इंटरनेट और सरकारी डिजिटल पुश जैसे UPI, ONDC और आधार मौजूद हैं। ऐसे में गूगल, मेटा और रिलायंस की साझेदारी भारत को एआई एडॉप्शन में दुनिया का लीडर बना सकती है।
भविष्य का परिदृश्य
आने वाले पांच सालों में भारत में एआई का इस्तेमाल स्वास्थ्य, वित्त, रिटेल, कृषि और शिक्षा हर क्षेत्र में होगा। रिलायंस के पास डेटा, डिस्ट्रीब्यूशन और कैपिटल है, जबकि गूगल और मेटा के पास टेक्नोलॉजी और ग्लोबल एक्सपर्टीज़ है। यह संयोजन भारत को एआई सुपरपावर बनाने में मदद कर सकता है और इसे दुनिया के लिए एक आदर्श मॉडल बना सकता है।
निष्कर्ष
रिलायंस एजीएम 2025 सिर्फ़ एक कॉर्पोरेट इवेंट नहीं था, बल्कि यह एक संकेत था कि भारत एआई और डिजिटल अर्थव्यवस्था की नई लहर का केंद्र बनने जा रहा है। सुंदर पिचाई ने भारत की असीम संभावनाओं पर भरोसा जताया, मुकेश अंबानी ने भारत के अजेय उदय का दावा किया और मार्क ज़करबर्ग ने एआई को हर हाथ तक पहुंचाने का वादा किया। अगर ये साझेदारियाँ अपने वादों को पूरा करती हैं, तो आने वाला दशक भारत के लिए केवल डिजिटल इंडिया नहीं बल्कि एआई इंडिया का होगा।





