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माता रमाबाई का जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई गई।

खबर हेडलाइंन:

बिहारशरीफ:- बिहारशरीफ के अंबेडकर चौक पचासा मोड स्थित डॉक्टर भीमराव अंबेडकर संघर्ष विचार मंच के तत्वाधान में रमाबाई के चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्प अर्पित करते हुए जयंती धूमधाम के साथ मनाई गई। इस अवसर पर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर संघर्ष विचार मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल पासवान एवं प्रदेश अध्यक्ष रामदेव चौधरी ने संयुक्त रूप से कहा कि रमाबाई डॉ भीमराव अंबेडकर की पत्नी थी रमाबाई का जन्म 7 फरवरी 1898 को एक गरीब परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम भिकु धुत्रे एवं माता रुक्मिणी था। वंणद गांव के महारपुरा बस्ती में रहती थी। इनके तीन बहने एवं एक भाई- शंकर था। डॉ भीमराव अंबेडकर के साथ रमाबाई की शादी 15 वर्ष के आयु में हुई थी। डॉक्टर अंबेडकर को विश्व प्रसिद्ध महापुरुष बनने में उनके साथ थी। रामबाई ने अत्यंत गरीबी में भी बड़े संतोष धैर्य के साथ घर की सेवा की और हर कठिनाई पर बाबा साहेब का साहस बढ़ता गया। रमाबाई की मौत का उन्हें इतना सदमा लगा कि उन्होंने अपने सिर के बाल मुंडवा लिए। वह बहुत दुखी और परेशान रहता था। एक ऐसा जीवनसाथी जो गरीबी और बदहाली में संकटों से झूसता रहा और अब जब कुछ सुख पाने का समय आया तो वह हमेशा परेशान रहने लगा। रमाबाई सात्विक एवं धार्मिक प्रवृत्ति की गृहनी थी। उनकी पंढरपुर जाने की बड़ी इच्छा थी महाराष्ट्र के पंढरपुर में विट्ठल रुक्मणी का प्रसिद्ध मंदिर है हालांकि हिंदू मंदिरों में अछूतों का प्रवेश वर्जित था अंबेडकर ने रमाबाई को समझाया कि ऐसे मंदिरों में जाने के बाद उनका उधर नहीं हो सकता जहां उनका जाना वर्जित है लेकिन रमाबाई नहीं माने एक बार रमाबाई के बहुत आग्रह पर बाबा साहब पंढरपुर गए लेकिन अछूत होने के कारण बिना दर्शन किए ही लौट गए। उनकी मृत्यु 37 वर्ष के आयु में 27 मई 1935 को हो गई थी। इस अवसर पर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर संघर्ष विचार मंच के प्रदेश के उपाध्यक्ष नंदलाल दास जिला महासचिव महेंद्र प्रसाद जिला अध्यक्ष अनुज पासवान महिला प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष ललित देवी उपाध्यक्ष कुंजन देवी किरण देवी शशि रंजन कुमार उर्फ पंकज पासवान मांझी यादव अखिलेश पासवान आदि लोगों उपस्थित थे।

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Author: khabarheadline

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